
🌸 शीतलाष्टमी व्रत 2025 – विस्तृत जानकारी
🗓 व्रत की तिथि और समय:
- तिथि: शनिवार, 22 मार्च 2025
- अष्टमी तिथि प्रारंभ: 22 मार्च, सुबह 4:23 बजे
- अष्टमी तिथि समाप्त: 23 मार्च, सुबह 5:23 बजे
- पूजा का शुभ मुहूर्त: सुबह 6:23 बजे से शाम 6:33 बजे तक
🕉 शीतलाष्टमी का महत्व:
शीतलाष्टमी हिन्दू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण व्रतों में से एक है, विशेषकर उत्तर भारत में। यह व्रत माता शीतला देवी को समर्पित होता है, जिन्हें रोगों की नाशक, विशेष रूप से चेचक, खसरा, और त्वचा रोगों से रक्षा करने वाली देवी के रूप में पूजा जाता है।
इस दिन व्रती उपवास रखकर माता शीतला की पूजा करते हैं और अगले दिन ठंडा भोजन करते हैं। कुछ क्षेत्रों में इस व्रत को बसौड़ा पर्व भी कहा जाता है।
🌾 पूजा की विशेषताएं:
- पूजा का स्थान और तैयारी:
- प्रातःकाल उठकर स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- माता शीतला की मूर्ति या चित्र को लकड़ी के पट्टे (पाटा) पर स्थापित करें।
- गंगाजल से शुद्ध करके हल्दी, कुमकुम, रोली, फूल आदि से पूजन करें।
- भोग और भोजन:
- इस दिन चूल्हा नहीं जलाया जाता।
- एक दिन पहले ही भोजन तैयार किया जाता है, जिसे बासी माना जाता है।
- माता को बासी पूड़ी, कढ़ी, चावल, हलवा, मिष्ठान्न आदि का भोग लगाया जाता है।
- इस भोजन को “बसौड़ा” कहते हैं और परिवार के सभी सदस्य अगले दिन यही भोजन ग्रहण करते हैं।
- व्रत कथा (कहानी):
- शीतलाष्टमी व्रत की कथा में बताया जाता है कि एक बार एक महिला ने अज्ञानतावश इस दिन चूल्हा जला दिया था, जिससे उसके बच्चे को रोग हो गया। तब देवी ने स्वप्न में आकर बताया कि ऐसा करना व्रत के नियमों के विरुद्ध है।
- तब से लोगों ने माता के इस नियम का पालन करना आरंभ किया और इससे रोगों से मुक्ति मिलने लगी।
🌼 धार्मिक मान्यताएं:
- माता शीतला को रोगनाशिनी देवी माना जाता है।
- जो श्रद्धापूर्वक इस व्रत को करता है, उसके परिवार को रोग, विशेषकर चेचक जैसी बीमारियों से रक्षा मिलती है।
- इस दिन बच्चों के लिए विशेष रूप से व्रत किया जाता है, ताकि वे रोगों से सुरक्षित रहें।
🧘♀️ व्रत विधि (Step-by-step):
- प्रातःकाल ब्रह्ममुहूर्त में उठें, स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनें।
- पूजा स्थल को साफ करके शीतला माता की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।
- उन्हें जल, पुष्प, रोली, हल्दी, चावल, गुड़, धूप, दीप आदि से पूजन करें।
- बासी खाद्य पदार्थ (पूड़ी, सब्जी, चावल, हलवा आदि) का भोग लगाएं।
- माता को ठंडे जल से स्नान कराएं (यदि प्रतिमा है तो प्रतीकात्मक जल अर्पण करें)।
- व्रत कथा पढ़ें या सुनें।
- अंत में आरती करके परिवार में प्रसाद वितरित करें।
🌙 सामाजिक और पारिवारिक परंपराएं:
- कुछ घरों में इस दिन बहुओं को मायके भेजकर बसौड़ा खिलाया जाता है।
- घर के बुज़ुर्ग महिलाएं नई बहुओं को इस परंपरा के बारे में बताती हैं।
- इस दिन विशेष रूप से घर की स्वच्छता का ध्यान रखा जाता है, क्योंकि माता शीतला को सफाई पसंद है।
21/04/2025 शीतलाष्टमी
21/04/2025 शीतलाष्टमी
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