
यहाँ श्रीगंगा सप्तमी के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई है, जिसमें तिथि, पूजा विधि, पौराणिक कथा, दान-पुण्य, योग-संयोग और महत्व सब कुछ शामिल है:
🌊 श्रीगंगा सप्तमी 2025 – विस्तृत जानकारी
🗓 तिथि और समय
- तिथि: शनिवार, 3 मई 2025
- तिथि प्रारंभ: सुबह 7:51 बजे (3 मई)
- तिथि समाप्त: सुबह 7:18 बजे (4 मई)
⏱ पूजा का शुभ मुहूर्त
- मध्याह्न पूजा मुहूर्त: सुबह 10:58 बजे से दोपहर 1:38 बजे तक (लगभग 2 घंटे 40 मिनट)
- इस अवधि में गंगा पूजन, जप और दान करना अत्यंत फलदायी होता है।
📜 पौराणिक कथा (गंगा सप्तमी की कथा)
गंगा सप्तमी से एक विशेष पौराणिक प्रसंग जुड़ा है। भगवान श्रीराम के पूर्वज राजा भगीरथ ने अपने पूर्वजों के उद्धार के लिए घोर तपस्या की थी, जिससे प्रसन्न होकर भगवान ब्रह्मा ने मां गंगा को पृथ्वी पर उतरने की अनुमति दी।
लेकिन जब गंगा का वेग अत्यंत तीव्र था, तब भगवान शिव ने उन्हें अपनी जटाओं में बांध लिया। बाद में शिवजी ने उन्हें धीरे-धीरे पृथ्वी पर छोड़ा। जब गंगा धरती पर उतरीं और राजा भगीरथ के पीछे-पीछे चल रही थीं, तब उनके प्रवाह ने ऋषि जह्नु के आश्रम को बहा दिया।
ऋषि जह्नु ने क्रोधित होकर मां गंगा को पी लिया। राजा भगीरथ की प्रार्थना पर ऋषि जह्नु ने उन्हें अपने कान से बाहर निकाला। यह घटना गंगा सप्तमी के दिन घटी थी। इसी कारण मां गंगा को “जाह्नवी” भी कहा जाता है।
🧘♀️ पूजा विधि (व्रत एवं पूजन कैसे करें)
- प्रातः स्नान करें – यदि संभव हो तो गंगा नदी में स्नान करें, अन्यथा जल में गंगाजल मिलाकर स्नान करें।
- संकल्प लें – व्रत और पूजा का संकल्प लें।
- गंगा जी की प्रतिमा या चित्र को स्थापित करें। उन्हें वस्त्र, फूल, अक्षत, चंदन आदि से सजाएं।
- धूप-दीप से आरती करें और उन्हें मीठा भोग अर्पित करें।
- गंगा स्तोत्र, गंगा अष्टकम् या गंगा सहस्रनाम का पाठ करें।
- दक्षिणा सहित ब्राह्मण को दान दें – गाय, वस्त्र, अन्न, जल कलश, ताम्रपत्र, आदि का दान पुण्यदायी होता है।
📿 महत्वपूर्ण मंत्र
- गंगा अष्टकम् मंत्र:
नमामी गंगे तव पादपंकजं सुरासुरैः सेवितमर्चितं सदा। शरन्म्यं मुक्तिभुवं भयापहं समस्तपापं हर कृपया भव॥
- गंगा स्नान मंत्र:
अस्य गङ्गायाः स्नानस्य पुण्यफलं ब्रह्मा न जानाति। तस्मात् सततं प्रयागे गङ्गास्नानं कुर्यात्॥
🎉 शुभ योग और संयोग (2025)
इस वर्ष गंगा सप्तमी पर तीन महत्वपूर्ण शुभ योग बन रहे हैं:
- त्रिपुष्कर योग – सुबह 7:51 बजे से दोपहर 12:34 बजे तक
→ इस योग में किया गया पुण्य कार्य तीन गुना फल देता है। - रवि योग – सुबह 5:39 बजे से दोपहर 12:34 बजे तक
→ यह योग शुभ कार्यों के लिए श्रेष्ठ माना जाता है। - शिववास योग – यह योग पूरे दिन प्रभावी है
→ शिव के प्रभाव से किये गए कार्यों में सफलता और मुक्ति मिलती है।
🎁 दान का महत्व और वस्तुएं
गंगा सप्तमी पर दान करना अत्यंत पुण्यदायी होता है। कुछ विशेष वस्तुएं जो इस दिन दान की जाती हैं:
- जल से भरा हुआ ताम्र या रजत कलश
- शुद्ध घी, वस्त्र, अन्न, चावल, तिल
- स्वर्ण या रजत आभूषण (सामर्थ्य अनुसार)
- ब्राह्मण भोज और दक्षिणा
🛐 गंगा सप्तमी का धार्मिक महत्व
- यह दिन पापों के नाश और मोक्ष की प्राप्ति का श्रेष्ठ अवसर माना जाता है।
- गंगा स्नान करने से शरीर, मन और आत्मा की शुद्धि होती है।
- जो लोग गंगा स्नान नहीं कर सकते, वे गंगाजल को नहाने के जल में मिलाकर स्नान करें — उन्हें भी वही पुण्य प्राप्त होता है।
- गंगा की पूजा से पूर्वजों की आत्मा को शांति, कुल के दोषों का नाश, और आरोग्य की प्राप्ति होती है।
श्रीगंगा सप्तमी कब है
श्रीगंगा सप्तमी कब है
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