
दत्तात्रेय जयंती एक महत्वपूर्ण हिन्दू त्योहार है, जो भगवान दत्तात्रेय के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। यह पर्व हर साल मार्गशीर्ष माह की पूर्णिमा को मनाया जाता है, जो आमतौर पर दिसंबर या जनवरी के महीने में पड़ता है। भगवान दत्तात्रेय को त्रिदेव – ब्रह्मा, विष्णु और महेश – का संयुक्त अवतार माना जाता है। इसलिए उन्हें त्रिमूर्ति का प्रतीक भी कहा जाता है। ऐसा माना जाता है कि उन्होंने साधु-संतों को ज्ञान का मार्ग दिखाया और संसार में धर्म का प्रचार किया।
दत्तात्रेय जयंती पर भक्तगण भगवान दत्तात्रेय की पूजा-अर्चना करते हैं, व्रत रखते हैं और उनके मंदिरों में जाकर विशेष अनुष्ठान करते हैं। महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और गुजरात में यह त्योहार विशेष रूप से मनाया जाता है। इस दिन को शुभ मानकर भक्तगण उपवास रखते हैं और भगवान की कृपा प्राप्त करने के लिए भजन-कीर्तन करते हैं। कई जगहों पर कथा का आयोजन भी होता है, जिसमें भगवान दत्तात्रेय के जीवन की घटनाओं और उपदेशों का वर्णन किया जाता है।
भगवान दत्तात्रेय का जीवन सादगी और तपस्या का प्रतीक है। वे जंगलों में घूमते हुए आध्यात्मिक साधना करते थे और उन्होंने 24 गुरु बनाए, जिनसे उन्होंने जीवन के विभिन्न पहलुओं का ज्ञान प्राप्त किया। दत्तात्रेय जयंती पर उनकी शिक्षाओं को याद किया जाता है, जो भक्ति, सेवा, और ज्ञान के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करती हैं।